आपके लिए उत्तर

क्या आप जानते हैं कि ऐसा कोई है जो आपके विषय में सबकुछ जानता है? परमेश्वर का पुत्र यीशु, सबकुछ जानता है जो आपने किया है। उन्होंने पृथ्वी और जो कुछ इनमें है उसकी सृष्टि की। वह अतित, वर्तमान और भविष्य को जानता है। वह आपसे प्रेम करता है और आपको पाप से बचाने के लिए इस संसार में आया। आपके जीवन में आनन्द लाने के लिए उनका एक योजना है।

एक दिन यीशु अपने मित्रों के साथ यात्रा कर रहे थे। वह सामरिया के एक गांव में आए। यीशु विश्राम करने के लिए एक कूएँ के पास बैठे, जब उनके मित्र भोजन खरीदने के लिए गए।

यब यीशु वहाँ बैठे हुए थे, एक स्त्री कूएँ से जल भरने के लिए आई। यीशु ने उससे पूछा, “क्या तुम मुझे पानी पिला सकती हो?”

सम्पूर्ण विषय-वस्तु – आपके लिए उत्तर

स्त्री आश्चर्यचकित हुई। “तू मुझे पानी माँगता है?” उसने कहा। “क्या तुम नहीं जानते कि मैं एक सामरी हूँ और यहूदी हमारे साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते?”

यीशु ने कोमलतापूर्वक उत्तर दिया, ”वास्तव में यदि तू परमेश्वर और जिससे तू बाते कर रही है उसके विषय में जानती तो तू मुझे जीवन का जल माँगती। मैं प्रसन्नतापूर्वक देता।”

स्त्री आश्चर्यजनक रुप से उसकी ओर देखी। उसने कहा, “हे प्रभु”, कुआँ गहरा है, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं। कैसे तू जीवन का जल निकालेगा?

यीशु ने फिर उत्तर दिया, “जो कोई इस कूएँ से पीएगा वह फिर प्यासा होगा। परन्तु यति तू उस जल में से पीएगी जो मैं देता हूँ, तो तू कभी प्यासी न होगी।”

“हे प्रभु”, स्त्री ने कहा, “वह जल मुझे दे ताकि मैं फिर कभी प्यासी न होऊँ और न ही यहाँ जल भरने के लिए वापस आऊँ।”

“जा अपने पति को बता और वापस आ” यीशु ने कहा।

“मैं बिना पति की हूँ” स्त्री ने उत्तर दिया।

“यह सच है,” यीशु ने कहा। “तू पाँच पति कर चुकी है, परन्तु अब जो तेरे साथ है वह तेरा पति नहीं है।”

यह मनुष्य मेरे विषय में कैसे जानता है, वह आश्चर्यचकित हुई। “हे प्रभु,” मुझे लगता है कि तू एक भविष्यवक्ता है। मेरे पास आपके लिए एक प्रश्न है। मेरे जाति के लोगों ने इसी स्थान पर परमेश्वर की आराधना की। तुम कहते हो कि यरूशलेम आराधना करने का स्थान है।

यीशु ने उससे कहा, “यह महत्वपूर्ण नहीं कि हम कहाँ आराधना करते हैं, आज सच्चे विश्वासी आत्मा और सच्चाई से पिता की आराधना कर सकते हैं।”

“मैं जानती हूँ कि मसीह जो ख्रीस्त कहलाता है आने वाला है, उसने कहा, और जब वह आएगा, तो हमें सब बाते बता देगा।”

तब यीशु ने उससे कहा, “मैं ही हूँ।”

वह अपना घड़ा छोड़कर नगर में चली गई। “आओ,” उसने रोते हूए कहा, “आओ और एक मनुष्य कै देखो जिसने सबकुछ जो मैंने किया है मुझे बता दिया। कहीं यही तो मसीह नहीं है?”

तब नगर के लोग निकल कर यीशु से मिलने गए। बहुतों ने विश्वास किया था कि वही मसीह है, उद्धारकर्त्ता क्योंकि वह उनके विषय में सबकुछ जानता था। आप यह विवरण यूहन्ना रचित सुसमाचार ४:३-४२ में पढ़ सकते हैं।

यीशु हमारे विषय में सबकुछ जानता है, चाहे अच्छा हो या बुरा। हम अपने जीवन में किए हुए बुरे चीजों को छिपाना चाहते हैं, परन्तु हम यीशु से छिपा नहीं सकते। वह हमारे बुरे कर्मों के लिए जिस दण्ड के हम योग्य थे उससे बचाने के लिए आया। वह हमारे बोझ को जो हम अपने हृदय में महसूस करते हैं उसे दूर कर सकता है और हमें शान्ति दे सकता है। वह हमारे पापों को दूर करने के लिए मरा, और यह सम्भव बनाया कि मरने के पश्चात हम स्वर्ग में एक घर पा सके।

यीशु आपके सभी जरूरत और प्रत्येक प्रश्न का उत्तर है। वह आपका मित्र बनना चाहता हे। वह आपके हृदय की शून्यता को भरना चाहता हे। वह आपके भय और अशान्ति को शांति और निश्चिंतता में प्रतिस्थापित कर सकता हैं।

यीशु कहते हैं, “मेरे पास आओ... और मैं तुम्हें विश्राम दूँगा” (मत्ती ११:२८)। उनसे प्रार्थना करे और उन्हें आपके जीवन में आने के लिए कहें। जैसे ही आप इस महान परमेश्वर को विश्वास से ग्रहण करेंगे, वह आपके हृदय में बना रहेगा। उनका उपस्थिति आपको आनन्द देगा। वह आपके जीवन में शक्ति और उद्देश्य देगा। वह आपके लिए उत्तर होगा।

 

संपर्क करें

ट्रैक्ट के लिये ऑर्डर करें

पाप का बीज

जब से आदम और हव्वा ने परमेश्वर की आज्ञा को उल्लंघन किया, तब से सभी लोग पाप के बीज के साथ जन्म लिए हैं। मुझे में है, आप में है, हम सब में है। “इसलिए कि सबने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित है” (रोमियों ३:२३)।

एक सन्तान होने के नाते, मैं खुश हूँ। मैं आजाद हूँ। यीशु का लहू मेरे पापों को ढक देता है। जैसे मैं बढ़ते जाता हूँ, मैं और उतनी आजादी महसूस नहीं करता। यह बीज मुझमें पापमय विचार और कार्य को उत्पन्न कर रहा है। मुझे बेचैन होने लगी है। कभी-कभी मैं हैरान व डर जाता हूँ।

अब क्या?

मैं इस बीज को दुर करने में असमर्थ हूँ। यह घिनौना हैं। यह तेजी से बढ़ता है। मैं शैतान का नियंत्रण के अधीन में हूँ। शैतान ही इस घिनौना बीज का पिता है। अब वह मेरा मालिक है। मैं क्या करुँ, मैं क्या कर सकता हूँ? मैं विदीर्ण हो चुका हूँ। मेरा एक हिस्सा को यह पसन्द है और एक हिस्सा को नहीं। मैं अपने आप को और अपने इच्छाअों को नियंत्रण नहीं कर सकता। शैतान कहता है कि मैं आजाद हूँ। शैतान मुझे रोमांचक जीवन के विषय में बताता है जो बिल्कुल मेरे सामने है। वह कहता है चिंता मत करो; मजा करो। कभी-कभी मैं उस-पर विश्वास करता हूँ, पर देर रात को जब मैं अकेले होता हूँ, मैं अच्छे से समझता हूँ। जब तक मैं न बदल जाऊ, मैं डरता हूँ कि मैं विनाश की ओर बढ़ता जा रहा हूँ।

यीशु मुझे बुला रहा है। मैं उनसे प्रार्थना करता हूँ। दुसरे लोग मेरे लिए प्रार्थना करते हैं। मैं अपने पापों को स्वीकार करता हूँ जब तक मैं थक न जाता। मैं हर सम्भव प्रयास करता हूँ। जितना मैं सोच सकता हूँ, पर मैं अपने आप को बदल नहीं सकता। मेरा हृदय पापपूर्ण है, मैं नरक के रास्ते में हूँ।

मैं अपने डोरी के सिरे पर हूँ

मैं अपने डोरी के सिरे पर हूँ। झुलते हुए, लहराते हुए, लटकते हुए प्रार्थना करते हुए- मैं स्वीकार करता हूँ कि मैं असहाय हूँ। मुझे क्षमा चाहिए। मैं परमेश्वर से मेरे पापों की क्षमा मांगता हूँ। मेरे सम्पूर्ण बेबसी में, मैं दौड़कर जाता हूँ और प्रेमी उद्धारकर्ता के बाहों में आश्रय लेता हूँ। “यीशु, मैं मेरा पापमय हृदय, मेरे सुधरने का प्रयास, मेरा अतित, मेरा भविष्य आपको देता हूँ।” वह तुरतं ही वहाँ होता है। क्या ही अच्छा और स्नेहमय उपस्थिति है। जब वह मेरे पापपूर्ण हृदय को धोकर साफ करता है, मैं उनके कोमल किले से चोटिल हाथ को अनुभव कर सकता हूँ। मैनें क्षमा पायी है। अब कोई डर या अन्धेरा नहीं है। जब मैं उनका सन्तान था उष्ण धूप मुझ पर चमकती थी जैसे अब चमकती है। अब मैं परमेश्वर का एक सूखी सन्तान हूँ। शैतान का मुझपर कोई नियंत्रण नहीं है। दयालू यीशु जो मेरे पास रहता है अब वह मेरे जीवन को नियंत्रण करता है। मैं उद्धार के आनन्द में प्रवेश करता हूँ। कितना सुन्दर और शांतिपूर्ण सफर है। “यदि हम अपने पापों को मान ले, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है” (१ यूहन्ना १:९)।

लेकिन यह क्या?

सम्पूर्ण विषय-वस्तु – पाप का बीज

ओह, मैं मनहूस! मैनें फिर से पाप किया। मुझमें अब भी पाप का बीज है। लेकिन एक उपाय है। यीशु का धीमी आवाज मुझे बताता है कि कैसे पाप का सामना करना चाहिए। जब मैं पाप के जाल में फंसा हुआ था तब शैतान मुझे जो बताता था मुझे याद है। उसने मुझसे कहा कि मैं हारा हुआ हूँ। मैं ऐसी चीजें कैसे कर सकता हूँ? अब मेरे लिए कोई आशा नहीं है। मैनें फिर पाप किया। अब मैं क्या कर सकता हूँ? मैं सुधरने का प्रयास कर सकता हूँ, पर वह कामयाब नहीं होता। मैं बहाना बना सकता हूँ - कि यह मेरे माता-पिता, मेरा काम, मेरा स्वभाव या अन्य व्यक्ति के कारण हुआ। यह विचार शैतान को खुश करता है। वह मुझे सुधरने से रोकना चाहता है। यीशु मेरा एकमात्र आशा है। वह कहता है, “आओ”!

विश्वास में चलना

इसलिए मैं उनके पास आता हूँ। मैं स्वीकार करता हूँ कि मैनें पाप किया है। मैं कोई बहाना नहीं बनाता। मैं जैसा हूँ स्वंय को उससे अच्छा दिखानें का प्रयास नहीं करता। मैं उनको बताता हूँ कि मैनें पाप किया, मैं उनसे क्षमा की याचना करता हूँ। मैं उनके सम्मुख असहाय होकर आता हूँ। मैं स्वंय को शुद्ध नहीं कर सकता। वह प्रसन्नतापूर्वक मुझे क्षमा करता और शुद्ध करता है। विश्वास के द्वारा, मैं जानता हूँ कि मैं परमेश्वर का सन्तान हूँ। मैं जानता हूँ कि उनका वादा सच है। मेरे हृदय में, मैं स्वीकार करता हूँ कि मैनें क्षमा पाया है। यहीं है विश्वास में चलना। जब मैं यह महसूस करता हूँ, मैं कृतज्ञ हृदय से परमेश्वर का प्रशंसा करता हूँ। मैं असहाय था। उसने मुझे छुड़ाया। परमेश्वर की महिमा हो!

मुझे याद रखना चाहिए कि मेरा पाप का मूल्य चुकाने के लिए यीशु क्रूस पर मरा। जब मुझे उसका जरुरत होता है तो वह प्रसन्न होता है। जब मैं यीशु के करीब रहता हूँ, मेरे ऊपर शैतान अपनी क्षमता खो देता है। यीशु वायदा करता है, “मेरा अनुग्रह तेरे लिए बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है” (२ कुरिन्थियों १२:९)। 

पाप का बीज से जयवन्त होने के लिए विश्वास का जीवन मुझे सामर्थ्य देता है। मैं परमेश्वर को उनका अनुग्रह और दया के लिए धन्यवाद देता हूँ। मैं उनसे प्रार्थना करता और उनका धीमी आवाज को सुनता हूँ। मैं उनका वचन बाइबल पढ़ने के द्वारा सान्त्वना और शिक्षा पाता हूँ। मैं उनका आज्ञाकारी हूँ क्योंकि मैं उनसे प्रेम करता हूँ। जैसे मैं आज्ञाकारी और विश्वासयोग्य हूँ, मसीही जीवन फलदायक और संतोषप्रद है। स्वर्ग मेरा घर होगा।

संपर्क करें

ट्रैक्ट के लिये ऑर्डर करें

मृत्यु के पश्चात्?

इस समय आप जीवित है, आप सांस ले रहे हैं, आप चल-फिर रहे हैं या कार्य कर रहे हैं या सो रहे हैं। आप चाहे आरामदायक जीवन जी रहे हैं या फिर पीड़ा में। सूर्य उगता है और ढलता है; कहीं पर किसी बच्चे का जन्म हो रहा है, तो कहीं पर किसी न किसी की मृत्यु भी निरन्तर हो रही है।

सम्पूर्ण जीवन केवल

एक अस्थायी प्रबन्ध है;

लेकिन मृत्यु के पश्चात्

आप कहां जाएंगे?

चाहे आप धार्मिक हों या सामान्यतः किसी धर्म में विश्वास नहीं करते हों – फिर भी आपके लिए इस आध्यात्मिक महत्वपूर्ण प्रश्न को तय करना आवश्यक है, क्योंकि धरती पर इस छोटे से जीवन के बाद मनुष्य अपने घर को सदा के लिए चला जाएगा (सभोपदेशक १२:५)।

किन्तु कहां?

कब्रिस्तान जहां आप दफन किए जा सकते हैं, वह आपकी आत्मा को रख नहीं सकती; या स्मशान घाट पर जहां आपकी देह जला दी जाती है, वो भी आपकी आत्मा को जला नहीं पाएगी; या सागर की गहराई में जहां आप डुब जाते हैं, वो भी आपकी आत्मा को डुबा नहीं पाएगी।

आपकी आत्मा कभी नहीं मरेगी!

स्वर्ग और पृथ्वी के परमेश्वर ने कहा है;

सम्पूर्ण विषय-वस्तु – मृत्यु के पश्चात्?

“स्मस्त आत्माएं मेरी हैं”

यहां के बाद "आप" अपनी आत्मा से, किसी स्तान पर अपने कार्य के अनुसार, अच्छा या बुरा, जो भी आपने जीवित रहकर इस जीवन में किया, मिलेंगे (इब्रानियों ९:२७)।

हम इमानदारी से आराधना कर सकते हैं।

हम अपने बुरे कार्यों के लिए अपनी गलती का अनुभव कर सकते हैं।

हम चोरी के माल वापस दे सकते हैं।

निसंदेह ये सब आवश्यक हैं।

लेकीन

हम अपने पापों को शुद्ध नहीं कर सकतें।

स्वर्ग के परमेश्वर, जो समस्त पृथ्वी के सच्चा न्यायाधीश हैं, आपके पाप और जीवन को जानते हैं – उनसे कुछ भी गुप्त नहीं। आप अपने पाप समेत परम सुख और आनेवाले संसार की महिमा में कभी भी प्रवेश नहीं कर सकतें।

लेकिन, यही स्वर्गीय परमेश्वर प्रेमी परमेश्वर हैं। उन्होंने आपके जीवन और आपकी आत्मा के उद्धार के लिए एक मार्ग बनाया है। आवश्यक नहीं कि आपको अनन्त काल के दंड और नरक की आग में डाल दिया जाए। परमेश्वर ने आपकी आत्मा को बचाने के लिए यीशु को संसार में भेजा। यीशु ने आपके पाप को अपने ऊपर उस वक्त ले लिया जब उसने कलवरी के क्रूस पर दुख उठाया और मर गया। परमेश्वर ने स्वर्ग में जो सबसे अच्छा था, आपके पाप के लिए बलिदान के रूप में दे दिया। “वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिए उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हमलोग चंगे हो जाएं” (यशायाह ५३:५)। ये शब्द यीशु के लिए उसके आने से बहुत वर्ष पहले कहे गए थे।

क्या आप विश्वास करेंगे कि यीशु आपसे प्रेम करते हैं? क्या आप प्रार्थना करेंगे और अपने पापों को उसे बताएंगे? क्या आप पश्चाताप करेंगे और जीवित परमेश्वर के पुत्र यीशु पर विश्वास करेंगे? उस पर पूर्ण समर्पण लाने पर, वह आपकी आत्मा को शान्ति पहुंचाएगा, और मृतयु के पश्चात् आपकी महिमापूर्ण जीवन देगा। उसके बाद ही आप महा आनन्द से भरे अनन्त घर का आश्वासन और अपनी आत्मा के लिए सुख पा सकते हैं।

किन्तु अहा! जो लोग अपने जीवन काल में यीशु के द्वारा मुक्ति प्रदान करनेवाले प्रेम को नाकारते हैं, उनके लिए नरक का दण्ड और अनन्त काल तक जलती रहने वाली आग प्रतीक्षा कर रही है। मृत्यु के पश्चात् न तो लौटने की बात होगी और न ही उद्धार पाने का कोई प्रश्न। "तब वह बायीं ओर के लोगों से कहेगा, ‘हे स्रापित लोगों, मेरे सामने से निकलो और उस अनन्त आग में जा पड़ो, जो शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गयी है।” (मत्ती २५:४१)। “इस निकम्मे सेवक को बाहर अंधेरे में डाल दो! वहां यह रोएगा और दांत पीसेगा” (मत्ती २५:३०)।

पवित्र बाइबल में परमेश्वर सम्पूर्ण पृथ्वी पर पर्याप्त रूप से होनेवाले अन्तिम भयानक न्याय के प्रति सावधान करते हैं। इन पवित्र शास्त्रो में यह भविष्यवाणी की जाती है कि बताए गए न्याय के दिन से पहले स्पष्ट एवं पूर्ण घोषित चिन्हों होंगे।

उसके आने से पहले युद्ध और युद्ध की चर्चाएं पीड़ा और राष्टों में घबराहट होगी एक राष्ट दूसरे राष्ट से लड़ेगा और कोई भी अपने बीच के मतभेद को दूर करने के लिए मार्ग निकाल नहीं पाएगा।

 विभिन्न स्थानों में भूकम्प और महामारी होगी। क्या हम अपने काल में इन भविष्यवाणियों को पूर्ण होते हुए नहीं देख रहे हैं? तब यह भी भविष्यवाणी की जाती है कि बुरे लोग और भी बिगड़ते चले जाएंगे। वैसे समय में लोग चेतावनी पर ध्यान नहीं देकर परमेश्वर से अधिक सांसारिक अभिलाषाओं के प्रेमी बन जाएंगे। पढ़िए मत्ती २४:६, ७ और १२!

याद रखें कि हमारे निष्पक्ष और महान न्यायाधीश हमारे वर्त्तमान धन या निर्धनता, यश या अपयश, रंग, वंश, जाति या धर्म से प्रभावित नहीं होंगे। किसी न किसी दिन हम अपने महान सृष्टिकर्त्ता और प्रभु के समक्ष खड़े होंगे और प्रभु हमारे कर्मों के अनुसार हमारा न्याय करेंगे। पढ़िए मत्ती २५:३२, ३३!

कभी भी खतम न होनेवाला अनन्तकाल जो आनेवाला है, वहां न तो कोई घड़ी होगी, न तो कोई वार्षिक कैलेन्डर और न ही सदियों की गणना की जाएगी।

पापी और अधर्मी की पीड़ा का धुआं हमेशा और हमेशा के लिए उठता रहेगा – जब कि उसी समय स्वर्ग में उद्धार पाए गए लोगों की खुशी, गीत परम सुख और आनन्द का भी अन्त न होगा।

अपना चयन अभी करें! इस से पहले की काफी देर हो जाए; “देखो, अभी वह उद्धार का दिन है!” (२ कुरिन्थियों ६:२)। मत्ती ११:२८-३० भी पड़े।

 

संपर्क करें

ट्रैक्ट के लिये ऑर्डर करें